Sunday, February 11, 2018

बोला कि समझदारी

                                                           
                              भोला की समझदारी 

                भोला को कई प्रकार के पंछियों से प्यार था वह उन्हें हाथ से पकड़ना चाहता था उनके साथ खेलना चाहता था मगर भोला  जब भी बगीचे में फुदकती गौरैया कबूतर और तोतो को देखता तो उन्हें पकड़ने दौड़ पड़ता मगर भोला  के पहुंचने से पहले ही वह उड़ जाते भोला उदास होकर वहीं बैठ जाता  !
                एक दिन भोला मां के साथ बाजार गया एक दुकान वाला पंछियों को बेच रहा था उसके पास कई तरह के सुंदर सुंदर पंछियों के जोड़े थे भोला ने मां से जिद कर एक सुंदर कबूतरों का जोड़ा खरीद लिया !
 घर आकर भोला ने कबूतरों के पिंजरे को बगीचे में एक पेड़ की शाखा पर लटका दिया नाना प्रकार के खाना पिंजरे में रखा और कबूतरों से बातें करने लगा अब तो बोला का एक ही मकसद बन चुका था हमेशा पंछी खरीदना !
           कभी पापा से जिद करके मंगवा लेता तो कभी दादी से कभी भैया से तो कभी मामा से इस तरह कुछ ही दिनों में भोला के पास 30 - 35 पंछियों के पिंजड़े हो गए भोला सुबह से शाम तक सभी पंछियों का ध्यान रखता समय-समय पर उन्हें दाना पानी देता है और बातें करता !
              मगर भोला देखता वह पंछी उसे खुश नजर नहीं आते भोला भी उनके दुख से दुखी रहता मगर उनके दुख का कारण समझ नहीं आता एक दिन भोला पंछियों के बीच बैठा बातें कर रहा था ना जाने कब भोला की आंख लग गई और वह सपनों की दुनिया में खो गया -
 भोला ने अपने आप को एक भयानक सुनसान चारों तरफ से विशाल पर्वतों से धीरे मैदान में पाया बड़े बड़े लंबे लंबे काले काले लोग भोला को घेरे  थे और  एक लोहे के पिंजरे में ढकेला रहे थे मुझे जाना है मेरी मां मेरी राह देख रही होगी छोड़ो मुझे................!   भोला जोर-जोर से चीख रहा था !
               अचानक भोला कि नींद टूटी भोला घबरा कर बैठ गया चारों तरफ देखा अपने आप को बगीचे में पंछियों के बीच ही पाया भोला ने पंछियों की तरफ देखा वह चहचहा रहे थे भोला को लगा वह मेरी तरह चींख  रहे हैं क्या मेरी तरह इन्हें भी अपनी मा का बुरा लगता होगा इनकी भी एक अलग दुनिया होगी यह यहां कैद है मगर इनको अपनो की बहुत याद आती होगी जरूर इनके भी कोई अपने होंगे जो इनकी राह देख रहे होंगे सब सोचकर भोला ने एक-एक करके सभी पंछियों को आजाद कर दिया !
             जाओ दोस्तों अपनों के पास जाओ मुझे माफ करना मैं आपकी खामोशी को ना समझ सका सारे पंछी खुशी से बगीचे में फूल लगने लगे तभी -
            भोला के पापा बगीचे में आए यह क्या किया भोला इतने कीमती पंछी पिंजड़े से क्यों निकाल दिए अब यह भाग जाएंगे !
       हां पापा अब हम इन्हें कभी कैद नहीं करेंगे इनकी भी एक अलग दुनिया है  इन्हें वापस अपनी दुनिया में अपनों के पास जाने दो इनके घर वाले इनकी राह देख रहे होंगे पापा इतना कहकर भोला की आंखें भर आई !
            बेटा तुम तो काफी समझदार हो गए एक दिन जरूर हमारा वह अपना नाम रोशन करोगे !
हां पापा मैं एक बहुत बहुत पैसे वाला आदमी बनूंगा भूला हाथ फैलाकर बोला !
          क्या करोगे इतने पैसों का बेटा भोला के पिता आश्चर्य से देखते बोले !
 पापा दुनिया में लोग जितने भी पंछी कैद किए हैं सबको खरीद के आजाद करूंगा !
         वाह बेटा बहुत अच्छा सोचा कह कर भोला के पिता ने भोला को गले लगा लिया !
                                            समाप्त

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