Wednesday, February 21, 2018

विधवा - एक अनोखी प्रेम कथा

 💕💕💕 विधवा - एक अनोखी प्रेम कथा💕💕💕
  
      राजीव आज 9 साल बाद शहर से गांव वापस आ रहा था राजीव गांव से दूर शहर में नौकरी करता था जैसे ही राजीव के गांव के पास वाली बस स्टैंड पर बस रुकी राजीब ने बस से उतार के चारों तरफ देखा उसके गांव की तरफ जाने के लिए कोई टैक्सी ना थी राजीब पैदल ही गांव की तरफ चल दिया !
           उसके मन में खुशी की ठंडी ठंडी लहरें उठ रही थी अपनों से मिलने की खुशी ,परिवार वालों से मिलने की खुशी , अपने दोस्तों से मिलने की और उस धुंधली पड़ चुकी तस्वीर से जो कई सालों से राजीब की आंखों में बसी थी जिससे उसने कई वर्ष पहले शायद प्यार किया था !
          उसे प्यार कहे या जवानी राजीव नहीं जानता था गौरा नाम था उस लड़की का गदराई जवानी और सुंदर गोल चेहरा मगर ना राजीव ने उसे कभी पाना चाहा था और न गौरा ने कभी राजीव को अपना जीवनसाथी माना था , बस जवानी के दिन थे और दो प्यासे जवान दिल बहक गए थे अब तो शायद गौरा की शादी हो चुकी होगी या अभी भी कुंवारी ही है राजीव नहीं जानता था राजीब इन्ही ख्यालों में खोया ना जाने कब गांव के पास पहुंच गया  !
        राजीब ने देखा सामने पीपल के पेड़ के नीचे एक सफेद साड़ी में लिपटी लड़की बैठी थी राजीव ने उसका चेहरा ध्यान से देखा उस चेहरे में वह धुंधली तस्वीर नजर आ रही थी जो राजीव की आंखों में बसी थी !
        गौरा तुम. ......... ! राजीव पास पहुंचते बोला !
  गौरा ने राजीव की तरफ देखा दोनों आंखों से आंसू बहने लगे !
गौरा तुम ऐसे हाल में और गांव से बाहर क्या है यह सब - राजीव गौरा के पास बैठते बोला !
 राजीव.......। एक आवाज पीछे सुनाई दी राजीव ने पलट कर देखा उसकी मां दौड़ी चली आ रही थी राजीव की मां ने आकर राजीव को गले लगा लिया।
बेटा तू इस डायन से बात कर रहा चल जल्दी तेरी नजर कटवानी होगी इस चुड़ैल की जरूर तुझे नजर लग गई होगी -- राजीव की मां गौरा को खा जाने वाली नजरों से घूरते बोली !
मां आप क्या कह रही राजीब माँ  की तरफ देखते बोला !
हा बेटा  ये डायन है अपने दो दो पतियों को खा गई चल जल्दी राजीव की माँ जबरदस्ती राजीब का हाथ पकड़ कर खींचते ले गई !
राजीब ने गौरा की तरफ देखा उसकी आंखों से सिर्फ आंसू बह रहे थे घर पहुंचते ही राजीव की माँ राजीव को मंदिर ले गई और पुजारी से बोली- पुजारी जी इसकी नजर काट दो उस डायन ने छू लिया काश ! वो नागिन मरती तक नहीं !
 माँ ये क्या डायन डायन लगा रखा इंसान कभी डायन नहीं होता और गौरा तो आपकी अपनी बेटी समान है वो कैसे डायन है  राजीव चिढ कर बोला !
बेटा तू नहीं जानता गौरा मनहूस है , डायन है अपने दो दो पतियों को खा गई , जो भी उसका मनहूस चेहरा देख लेता उसका पूरा का पूरा दिन मुसीबतों से गुजरता भगवान उसकी हाय तुझे ना बैठी हो !
         राजीव पढ़ा-लिखा समझदार था वो इन बातों में विश्वास नहीं रखता था वह जानता था यह सब गांव वालों का अंधविश्वास है !
     शाम का समय हो चुका था राजीव का दिल भारी भारी था उसे ना गांव में अच्छा लग रहा था, ना परिवार में, उसकी आंखों में बार-बार गौरा का आंसुओ से भरा चेहरा तैर रहा था राजीव गांव से बाहर उस पीपल के पेड़ के नीचे पहुंचा !
      गौरा! राजीव गौरा के पास बैठते बोला !

राजीब तुम यहां क्यों आए हो गौरा राजीब की तरफ देखते बोली ।
     गौरा तूने क्या कर लिया अपनी जिंदगी को पागलों जैसी हालत बना ली तू तो पढ़ी-लिखी समझदार थी फिर भी !
   राजीव सब किस्मत का खेल है और फिर यह समाज किताबों कहानियों की बातें कब मानता, इनके एक अलग रीति रिवाज है हम कितने ही समझदार क्यों ना हो लेकिन समाज और परंपराओं से थोड़ी अकेले लड़के जीत सकेंगे - गोरा गहरी सांस छोड़ते बोली।
     मगर गोरा तुमने इतनी कम उम्र में दो बार शादी का फैसला क्यों ले लिया और यह सब कैसे हो गया।
    राजीव मैंने कब शादी का फैसला लिया मैं तो पढ़ना चाहती थी मगर यह परिवार वालों का फैसला था मगर एक समझदार होने के नाते मैंने उनके फैसले को ठुकराया नहीं था जिस लड़के से शादी हुई थी शादी के कुछ दिनों बाद एक सड़क हादसे में उसकी मौत हो गई मैं विधवा हो गई और ससुराल से वापस मुझे गांव भगा दिया । इस घटना के कुछ ही दिनों बाद बाबा ने एक 50 साल के वृद्ध लड़के से मेरी शादी कर दी !
        मैं अपने बूढ़े बाबा पर बोझ नहीं बनना चाहती थी इसलिए खुशी-खुशी ससुराल चली गई मगर राजीब मेरे सारे सपने टूट कर बिखर चुके थे फिर भी मैंने सोचा एक विधवा की जिंदगी जीने से तो अच्छा है एक वृद्धि के साथ उम्र  गुजार दूं लेकिन राजीव वो लड़का शराबी और दिल का मरीज था और एक दिन वह मुझे अकेला छोड़कर इस दुनिया से ससुराल वालों ने मुझे ना जाने क्या-क्या कहा मनहूस ,चुड़ैल, डायन और मुझ पर इतने सितम ढाए कि मुझे मायके आने पर मजबूर कर दिया मगर राजीव मैंने यहां आकर देखा यहां भी सब कुछ बदल चुका था गांव वाले भी मुझे मनहूस कहते व घृणा की नजर से देखते यहां तक कि मेरे अपने भी मुझे मनहूस मानते इसलिए मैं सुबह से गांव से बाहर आ जाती और रात को अंधेरे में घर जाती ताकि कोई मेरा मनहूस चेहरा ना देखो !
    अब तुम ही बताओ राजीव यह सब में मेरा क्या कसूर है गोरा सिसकते बोली !
   गोरा की आपबीति सुनकर राजीव की आंखें भर आई राजीव के मन में गोरा के लिए बहुत प्यार उमड़ आया था  -गोरा तुम किसी और लड़के शादी क्यों नहीं कर लेती !
     अब कौन करेगा मुझसे शादी दूर तक कोई लड़का रिश्ते को तैयार नहीं होता और मैं भी अब शादी नहीं करना चाहती अब तो जितने भी जिंदगी के शेष बचे दिन ऐसे ही काट लुंगी गोरा आंसू पोछते बोली !
     राजीव काफी समय तक गोरा के पास बैठा रहा फिर घर आ गया राजीव को समाज से नफरत हो गई थी यह कैसा समाज है जो 22 साल की मासूम लड़की की 50 साल के बीमार युवक से शादी कर दी और अब उसे विधवा की जिंदगी जीने पर मजबूर अभी उसकी सारी उम्र शेष है ऐसे रो-रोकर कब तक जायेगी जन्म मृत्यु तो भगवान के हाथ है इसमें बिचारी गोरा का क्या दोष औरतों को देवी का रुप होती है फिर वह मासूम डायन मनहूस कैसे हो सकती ,यह हमारा समाज कैसी अंधविश्वास की परंपराओं में गिरा है राजीव इन्हीं विचारों में खोया रहता और आज 7 दिन बीत चुके थे !
     राजीव पुनः वापस शहर जा रहा था मगर उसका दिल रो रहा था उसके माता-पिता उसे गांव के दूसरे रास्ते से बस स्टैंड लाए थे वह नहीं चाहते थे कि उसका लड़का गोरा का मनहूस चेहरा देखें ।
      राजीव बस स्टैंड पर बैठा था माता पिता वापस गांव लौट चुके थे मगर राजीव की आंखों में गोरा का चेहरा था और वह दर्द भरे शब्द बार-बार कानों में गूंज रहे थे राजीव वापस गांव की तरफ चल दिया ।
      देखा गौरा घुटनों में सिर झुकाए बैठी थी गोरा में बापस शहर जा रहा और शायद कई सालों बाद वापस आऊंगा या न भी आऊ मगर मैं तुमसे कुछ पूछने आया राजीब गौरा के सामने खड़ा होकर बोला ।
        गौरा राजीव को सवालिया नजरों से देख रही थी ।
गौरा क्या तू मुझसे शादी करेगी.......!
      गौरा राजीव को आश्चर्य देखें जा रही थी पर आंखों में आंसू झलकने लगे ।
     अगर तुम्हें लगता है मेरे साथ तुम खुश रह सकती हो तो तुम्हारे लिए चलो एक नई सुबह इंतजार कर रही है आओ गौरा तुम्हारे लिए हमारे दिल में बहुत प्यार है गौरा एक पल राजीव को देखती रही और फिर राजीव की बाहों में समा गई और दोनों एक नई मंजिल की तरफ निकल गए ।
                                              -Arvindra chohan 

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