Monday, February 19, 2018

आखे नम है उसी पागल लड़की.................!

दोस्तो-
   आंखें नम है उसी पागल लड़की की याद में ,
आंसू सिमट आये अपने आप मे ,
   सपनों की बस्ती थी जो महीनों पहले जलकर खाक हो गई-
पर यह पगला मन ना जाने क्या ढूंढ रहा है उस राख में ।
   आंखें नम है उसी पागल..................!
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यादों की किताब खड़खड़ा कर खुलती है बरसात में ,
   याद आती है उसकी जब कोई तारा टूटता है काली रात में ,
दुनिया तुलना करती है जब उसकी मेरी माना वह कुछ नहीं है-
   मेरे सामने औकात मै !
फिर भी आंखें नम उसी पागल.................!
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माना वो पागल हमसे खफा हो गई एक दो बात में ,
   मेरी सारी वफ़ाएं भूल गई गैर की एक दो मुलाकात मे ,
उससे बिछड़ गए अब तो मर ही जाऊंगा जानते हैं हम-
   मगर दुनिया वालो तुम देखना जरूर एक दिन मेरी वफाएं ढूंढती मिलेगी वो मेरी अस्थियों की राख में !!
   आंखें उसी पागल लड़की की याद मे ।
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                                      -Arvindra chohan

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