Monday, February 26, 2018

Aaj ye kisne

किसने यादो की किताब को हवा में उछाल दिया ,
देखो वो पेज कैसे खड़खड़ा कर उन की याद दिला रहे है !
वो तो आलविदा कह गए साक से काम से काम एक बार भी नहीं सोचा -
कोई हमारे अपने है जो पीछे खड़े आंसू बहा रहे है !
 आज ये किसने...................?

उस समय कटरा कटरा यहाँ कुछ टुटा था
जब किसीने आकर कहा कलतक जो तेरे सपनो में थे वो आज हमेशा हमेशा  रहे है !
में दौड़ पड़ा तेज बारिश में उनके घर की तरफ दिल कह रहा था उनके कदमो में गिर जा और कह दे
हम तो तुम्हे देख देख जी रहे आप मुझे छोड़ किधर जा रहे है !
आज ये किसने .......................?

बेबफाई उनकी बीमारी है और धोका उनकी यारी है तभी तो वो मुझे छोड़ कर जा रहे है
तभी उसने देखा पलट कर मेरी तरफ लगा आसमा से चाँद सितारे मेरी झोली में आ रहे है  !
सरे सिक्बा गीला एक पल में दूर  गए
जब देखा वो भी मेरे लिए आंसू बहा रहे है !
आज ये किसने ......................?
                                                                                    Aapka Dost _Arvindra chohan 

Wednesday, February 21, 2018

विधवा - एक अनोखी प्रेम कथा

 💕💕💕 विधवा - एक अनोखी प्रेम कथा💕💕💕
  
      राजीव आज 9 साल बाद शहर से गांव वापस आ रहा था राजीव गांव से दूर शहर में नौकरी करता था जैसे ही राजीव के गांव के पास वाली बस स्टैंड पर बस रुकी राजीब ने बस से उतार के चारों तरफ देखा उसके गांव की तरफ जाने के लिए कोई टैक्सी ना थी राजीब पैदल ही गांव की तरफ चल दिया !
           उसके मन में खुशी की ठंडी ठंडी लहरें उठ रही थी अपनों से मिलने की खुशी ,परिवार वालों से मिलने की खुशी , अपने दोस्तों से मिलने की और उस धुंधली पड़ चुकी तस्वीर से जो कई सालों से राजीब की आंखों में बसी थी जिससे उसने कई वर्ष पहले शायद प्यार किया था !
          उसे प्यार कहे या जवानी राजीव नहीं जानता था गौरा नाम था उस लड़की का गदराई जवानी और सुंदर गोल चेहरा मगर ना राजीव ने उसे कभी पाना चाहा था और न गौरा ने कभी राजीव को अपना जीवनसाथी माना था , बस जवानी के दिन थे और दो प्यासे जवान दिल बहक गए थे अब तो शायद गौरा की शादी हो चुकी होगी या अभी भी कुंवारी ही है राजीव नहीं जानता था राजीब इन्ही ख्यालों में खोया ना जाने कब गांव के पास पहुंच गया  !
        राजीब ने देखा सामने पीपल के पेड़ के नीचे एक सफेद साड़ी में लिपटी लड़की बैठी थी राजीव ने उसका चेहरा ध्यान से देखा उस चेहरे में वह धुंधली तस्वीर नजर आ रही थी जो राजीव की आंखों में बसी थी !
        गौरा तुम. ......... ! राजीव पास पहुंचते बोला !
  गौरा ने राजीव की तरफ देखा दोनों आंखों से आंसू बहने लगे !
गौरा तुम ऐसे हाल में और गांव से बाहर क्या है यह सब - राजीव गौरा के पास बैठते बोला !
 राजीव.......। एक आवाज पीछे सुनाई दी राजीव ने पलट कर देखा उसकी मां दौड़ी चली आ रही थी राजीव की मां ने आकर राजीव को गले लगा लिया।
बेटा तू इस डायन से बात कर रहा चल जल्दी तेरी नजर कटवानी होगी इस चुड़ैल की जरूर तुझे नजर लग गई होगी -- राजीव की मां गौरा को खा जाने वाली नजरों से घूरते बोली !
मां आप क्या कह रही राजीब माँ  की तरफ देखते बोला !
हा बेटा  ये डायन है अपने दो दो पतियों को खा गई चल जल्दी राजीव की माँ जबरदस्ती राजीब का हाथ पकड़ कर खींचते ले गई !
राजीब ने गौरा की तरफ देखा उसकी आंखों से सिर्फ आंसू बह रहे थे घर पहुंचते ही राजीव की माँ राजीव को मंदिर ले गई और पुजारी से बोली- पुजारी जी इसकी नजर काट दो उस डायन ने छू लिया काश ! वो नागिन मरती तक नहीं !
 माँ ये क्या डायन डायन लगा रखा इंसान कभी डायन नहीं होता और गौरा तो आपकी अपनी बेटी समान है वो कैसे डायन है  राजीव चिढ कर बोला !
बेटा तू नहीं जानता गौरा मनहूस है , डायन है अपने दो दो पतियों को खा गई , जो भी उसका मनहूस चेहरा देख लेता उसका पूरा का पूरा दिन मुसीबतों से गुजरता भगवान उसकी हाय तुझे ना बैठी हो !
         राजीव पढ़ा-लिखा समझदार था वो इन बातों में विश्वास नहीं रखता था वह जानता था यह सब गांव वालों का अंधविश्वास है !
     शाम का समय हो चुका था राजीव का दिल भारी भारी था उसे ना गांव में अच्छा लग रहा था, ना परिवार में, उसकी आंखों में बार-बार गौरा का आंसुओ से भरा चेहरा तैर रहा था राजीव गांव से बाहर उस पीपल के पेड़ के नीचे पहुंचा !
      गौरा! राजीव गौरा के पास बैठते बोला !

राजीब तुम यहां क्यों आए हो गौरा राजीब की तरफ देखते बोली ।
     गौरा तूने क्या कर लिया अपनी जिंदगी को पागलों जैसी हालत बना ली तू तो पढ़ी-लिखी समझदार थी फिर भी !
   राजीव सब किस्मत का खेल है और फिर यह समाज किताबों कहानियों की बातें कब मानता, इनके एक अलग रीति रिवाज है हम कितने ही समझदार क्यों ना हो लेकिन समाज और परंपराओं से थोड़ी अकेले लड़के जीत सकेंगे - गोरा गहरी सांस छोड़ते बोली।
     मगर गोरा तुमने इतनी कम उम्र में दो बार शादी का फैसला क्यों ले लिया और यह सब कैसे हो गया।
    राजीव मैंने कब शादी का फैसला लिया मैं तो पढ़ना चाहती थी मगर यह परिवार वालों का फैसला था मगर एक समझदार होने के नाते मैंने उनके फैसले को ठुकराया नहीं था जिस लड़के से शादी हुई थी शादी के कुछ दिनों बाद एक सड़क हादसे में उसकी मौत हो गई मैं विधवा हो गई और ससुराल से वापस मुझे गांव भगा दिया । इस घटना के कुछ ही दिनों बाद बाबा ने एक 50 साल के वृद्ध लड़के से मेरी शादी कर दी !
        मैं अपने बूढ़े बाबा पर बोझ नहीं बनना चाहती थी इसलिए खुशी-खुशी ससुराल चली गई मगर राजीब मेरे सारे सपने टूट कर बिखर चुके थे फिर भी मैंने सोचा एक विधवा की जिंदगी जीने से तो अच्छा है एक वृद्धि के साथ उम्र  गुजार दूं लेकिन राजीव वो लड़का शराबी और दिल का मरीज था और एक दिन वह मुझे अकेला छोड़कर इस दुनिया से ससुराल वालों ने मुझे ना जाने क्या-क्या कहा मनहूस ,चुड़ैल, डायन और मुझ पर इतने सितम ढाए कि मुझे मायके आने पर मजबूर कर दिया मगर राजीव मैंने यहां आकर देखा यहां भी सब कुछ बदल चुका था गांव वाले भी मुझे मनहूस कहते व घृणा की नजर से देखते यहां तक कि मेरे अपने भी मुझे मनहूस मानते इसलिए मैं सुबह से गांव से बाहर आ जाती और रात को अंधेरे में घर जाती ताकि कोई मेरा मनहूस चेहरा ना देखो !
    अब तुम ही बताओ राजीव यह सब में मेरा क्या कसूर है गोरा सिसकते बोली !
   गोरा की आपबीति सुनकर राजीव की आंखें भर आई राजीव के मन में गोरा के लिए बहुत प्यार उमड़ आया था  -गोरा तुम किसी और लड़के शादी क्यों नहीं कर लेती !
     अब कौन करेगा मुझसे शादी दूर तक कोई लड़का रिश्ते को तैयार नहीं होता और मैं भी अब शादी नहीं करना चाहती अब तो जितने भी जिंदगी के शेष बचे दिन ऐसे ही काट लुंगी गोरा आंसू पोछते बोली !
     राजीव काफी समय तक गोरा के पास बैठा रहा फिर घर आ गया राजीव को समाज से नफरत हो गई थी यह कैसा समाज है जो 22 साल की मासूम लड़की की 50 साल के बीमार युवक से शादी कर दी और अब उसे विधवा की जिंदगी जीने पर मजबूर अभी उसकी सारी उम्र शेष है ऐसे रो-रोकर कब तक जायेगी जन्म मृत्यु तो भगवान के हाथ है इसमें बिचारी गोरा का क्या दोष औरतों को देवी का रुप होती है फिर वह मासूम डायन मनहूस कैसे हो सकती ,यह हमारा समाज कैसी अंधविश्वास की परंपराओं में गिरा है राजीव इन्हीं विचारों में खोया रहता और आज 7 दिन बीत चुके थे !
     राजीव पुनः वापस शहर जा रहा था मगर उसका दिल रो रहा था उसके माता-पिता उसे गांव के दूसरे रास्ते से बस स्टैंड लाए थे वह नहीं चाहते थे कि उसका लड़का गोरा का मनहूस चेहरा देखें ।
      राजीव बस स्टैंड पर बैठा था माता पिता वापस गांव लौट चुके थे मगर राजीव की आंखों में गोरा का चेहरा था और वह दर्द भरे शब्द बार-बार कानों में गूंज रहे थे राजीव वापस गांव की तरफ चल दिया ।
      देखा गौरा घुटनों में सिर झुकाए बैठी थी गोरा में बापस शहर जा रहा और शायद कई सालों बाद वापस आऊंगा या न भी आऊ मगर मैं तुमसे कुछ पूछने आया राजीब गौरा के सामने खड़ा होकर बोला ।
        गौरा राजीव को सवालिया नजरों से देख रही थी ।
गौरा क्या तू मुझसे शादी करेगी.......!
      गौरा राजीव को आश्चर्य देखें जा रही थी पर आंखों में आंसू झलकने लगे ।
     अगर तुम्हें लगता है मेरे साथ तुम खुश रह सकती हो तो तुम्हारे लिए चलो एक नई सुबह इंतजार कर रही है आओ गौरा तुम्हारे लिए हमारे दिल में बहुत प्यार है गौरा एक पल राजीव को देखती रही और फिर राजीव की बाहों में समा गई और दोनों एक नई मंजिल की तरफ निकल गए ।
                                              -Arvindra chohan 

Tuesday, February 20, 2018

sad love story - meri paro


आखे भर आई थी और होठ कपंकपा रहे थे वो गले से लिपटी थी कुछ समझ नही आ रहा था उसे क्या दुआ दू जो कभी हाथ न छोडने कि कसम ली थी और आज वही हाथ किसी गैर के हाथो मे थमाते ।
वो न जाने क्या रोते-रोते कह गई मगर हमारे कानो मे तो लौहा सा पिघल कर जम गया था दुनिया के लिए एक लडकी कि विदाई थी पर उन आसूओ की किमत सिर्फ मै और वो ही समझ सकते थे ।
लोगो ने उसे हमसे जुदा किया और वो लड़खड़ाते कदमो से डोली कि तरफ बड रही थी और मेरा मन अतीत की स्मृतियो के तरफ-
वो हमेशा कहती थी बुद्धू देखना एक दिन कोई राजकुमार घोड़े पर बैठ कर आयेगा और मुझे ले जायेगा और तुम यही बैठे बैठे झील मे कंकड फेकते रहना ।
और मै हमेशा हँसकर कहता तुझे और वो भी राजकुमार , कोई जोकर भी न आयेगा ।
मगर चंदन एक बात बता तू शादी करेगा न मुझसे ।
तुझसे और वो भी शादी, चल हट ।
तो ठीक है तू ककड फेंक दारिया मे चली ।
ये ये पारो रूठ गई पागल तू समझती क्यो नही हमारी शादी नही हो सकती पागल शादी 2 दूर के लोगो कि होती है और हम तो एक ही दीवार के सहारे बने दो अलग अलग घरो मे रहते और शादी 2 आत्माओ का मिलन है और हम तो 2 शरीर 1 आत्मा है ।
तो चदन क्या पडोसीओ कि शादी नही होती ।
हा पगली होती है बड़े शहरो मे, फिल्मो मे, गोरे लोगो मे पर पगली हम तो काले है न, और तू भी कोई कैटरीना नही है ।
बुद्धू तू नही समझेगा पर जब कोई जबरदस्ती उठा ले जायेगा तो देखना मे मर जाऊगी तब तू समझेगा ।
और वो चिढ के भाग जाती ।
और कल-
वो चहल कदमी कर रही थी और मै पत्थर के बूत कि तरफ जम चुका था एक हाथ मे कंकड था और कुछ पास मे, पानी मे नही फेक रहा था पर लहरे थमने का नाम नही ले रही थी ।
और उसी ने चुप्पी टोडी - फेक ककड फेंक कहा था कुछ कर पर नही अब कल क्या होगा वो कोई जोकर आयेगा और ले जायेगा और तू ............!

मेरे पास कोई जवाब नही था सिर्फ आंखो से आंसू बह कर दरिया मे गिर रहे थे । खेलते-खेलते पता ही नही चला कब वो इतनी बड़ी हो गई कि शादी करदी उसके घर वालो ने ।
बोलेगा भी या नही.........! वो मेरा कन्धों को हिलाते बोली ! 
बहुत देर से रूका आसूओ का शैलाब फूट पड़ा और पारो से लिपट फफक फफक रो पड़ा पारो तू सच कल जा रही पागल ये कोई उम्र है तेरी शादी की बिलकुल बच्ची लग रही ।
नही पारो नही मे मर जाऊंगा आसूओ से भिगे 2 चहरे एक थे ।
शाम हो रही चदन मुझे जाना होगा और घर मेहमान भी है अगर कोई इधर आ गया तो वो अलग होते बोली ।
पर मेरे आंसू रूकने का नाम नही ले रहे थे वो कुछ कदम बड़ी और पलटी मेरे होठो को चूमा उसकी आखो से बहते वो नमकीन आसूं मेरे मूह मे जा रहे थे वो खड़ी हुई और घर की तरफ दौड गई ।
मै रोकना चाहता था एक बार गले लगाना चाहता था पर होठ कपंकपा कर रह गए अंदर से निकली आवाज गले मे अटक कर रह गई ।
और वो चली गई और आज वो फूल सी बच्ची एक लाल जोडे मे लिपटी एक हूर से कम नही लग रही थी और उसके रोने की आवाज मुझे अंदर तक झझकोर रही थी वो डोली मे बैठ रही थी और मै जगल की तरफ भाग रहा था मै दूर जाना चाहता था उसके रोने की आवाज और उन दर्द भरी सिसकीयो से ।
अब आवाज कुछ कम हो रही थी पता नही मै दूर आ गया था या डोली दूर जा चुकी थी ।
सामने वही झील थी पास मे उसकी एक टूटी पायल और कुछ ककड जो वो अक्सर मुझे देख खनकती थी ।
अब कोई आवाज सुनाई नही पड रही थी और दरिया का पानी भी एकदम शांत था पर आंसू रूकने का नाम नही ले रहे थे ।
                                           
 - Arvindra chohan


Monday, February 19, 2018

आखे नम है उसी पागल लड़की.................!

दोस्तो-
   आंखें नम है उसी पागल लड़की की याद में ,
आंसू सिमट आये अपने आप मे ,
   सपनों की बस्ती थी जो महीनों पहले जलकर खाक हो गई-
पर यह पगला मन ना जाने क्या ढूंढ रहा है उस राख में ।
   आंखें नम है उसी पागल..................!
😰😰😰😰😰😰😰😰😰😰😰😰😰
यादों की किताब खड़खड़ा कर खुलती है बरसात में ,
   याद आती है उसकी जब कोई तारा टूटता है काली रात में ,
दुनिया तुलना करती है जब उसकी मेरी माना वह कुछ नहीं है-
   मेरे सामने औकात मै !
फिर भी आंखें नम उसी पागल.................!
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
माना वो पागल हमसे खफा हो गई एक दो बात में ,
   मेरी सारी वफ़ाएं भूल गई गैर की एक दो मुलाकात मे ,
उससे बिछड़ गए अब तो मर ही जाऊंगा जानते हैं हम-
   मगर दुनिया वालो तुम देखना जरूर एक दिन मेरी वफाएं ढूंढती मिलेगी वो मेरी अस्थियों की राख में !!
   आंखें उसी पागल लड़की की याद मे ।
👩👩👩👩👩👩👩👩👩👩👩👩👩
     
                                      -Arvindra chohan

Saturday, February 17, 2018

सच बोले या झूठ.................!

गुरुदेव ने कहा सच बोलने से भगवान मिलते हैं और मैंने भी कसम ली आज से सच ही बोलूंगा सुबह उठा अपनी दुध की दुकान पर बैठ गया एक ग्राहक ने पूछा- भाई पानी तो नहीं मिलाया !
अब क्या कहता सच बोलने की कसम ली थी कह दिया हाॅ पानी मिलाया और पाउडर भी आप खाओगे तो पक्का बीमार हो जाओगे सारे ग्राहक दूध फेक कर गाली देते हुए चले गए ।दुकान बंद करके घर पहुंचा 2 घंटे में कि मेहनत के बाद न जाने क्या बना कर लाइ मेरे चखते ही वो मुस्कुराते बोली कैसा स्वाद है अब सच बोलने की कसम ली थी कह दिया ऐसा लग रहा है जैसे घास-फूस को मसालों में सजा लाई हो वह सामने से प्लेट झपट के अंदर चली गई ।
गाली सुनकर भूखा ऑफिस पहुंचा सामने बाॅस कि सेक्रटरी आई बोली आज मैं पार्लर से आई हूं कैसी लग रही हूं सर  बताइए ।
अब क्या कहता सच बोलना ही था कह दिया ऐसा लग रहा है जैसे भैस कीचड़ में लोट के आई हो वह सामने फाइल पटक कर चली गई ।
ऑफिस में बैठा ही था की तभी बॉस ने सब को अंदर बुलाया वह पेंटिंग के एकदम पागल थे एक दीवार की तरफ दिखाते हुए बोले बताइए जेंटलमैन यह मेरी 2 महीने की मेहनत आपको कैसी लगी ।
सभी ने नाइस वेरी नाइस ब्यूटीफुल कहा और जब मुझसे पूछा अब क्या कहता सच बोलने की कसम जो निभानी थी मैंने पेंटिंग को देखा ऐसा लग रहा था सड़क पर पेड नजर आ रहे  हिरण आसमान में तैर रहे है वाहन पर्वत पर चल रहे हो मैंने कह दिया सर ऐसा लग रहा है जैसे झाड़ू को रंगो में डुबा डूबाकर दीवाल पर मारा हो ।
बस फिर क्या था बॉस का पारा सनक गया और उन्होंने मेरे मुंह में लात मारकर कहा आउट कल से आफिस में नजर मत आना !
शाम को घर आया बिस्तर पर लेट कर सोचा
आज के जमाने में झूठ बोले बिना रहना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है

Friday, February 16, 2018

कौन कहता बेवफा है वह ......... !

कौन कहता बेवफा है वह ,
            जरूर हमसे खफा है वह ,
मैं तो यूं ही उसे ढूंढने की कोशिश कर रहा ,
            मुझे क्या पता कभी ना दिखने वाली हवा है वह-
कौन कहता बेवफा ..............!
💏💏💏💏💏💏💏💏💏
सबसे हंसी है वह ,
        सबसे जुदा है वह ,
टूटे हुए कई दिलों की दुआ है वह ,
    सब कुछ के कदमों पर निछार कर दें ऐसी हंसी अदा है वो -
कौन कहता बेवफा है ......... !
💋💋💋💋💋💋💋💋💋💋
रोते हुए चेहरे को हंसा दे वह ,
       तूफान में भी उम्मीद के चिराग जला दे वह ,
ताजमहल भी शरमा के सर झुका ले अगर -
      अंगड़ाई को दोनों हाथ उठा दे वह ,
कौन कहता बेवफा ..............!
💅💅💅💅💅💅💅💅💅💅💅
तड़पते हुए दिल की दुआ है वह ,
         जो फसल पका दे ऐसी हंसी अदा है वह ,
चाॅद भी सारी रात उसी के छत पर ठहरता है ,
         काश एक बार पलकें झुका कर मेरी तरफ उठा दे वह ,
कौन कहता बेवफा..............!
🔴🔵⚪⚫🔴🔵⚪⚫🔴🔵
समुंदर में होने वाली हलचल है वह ,
        नीली झील मे खिलने वाला कमल है वह ,
हजार पेज भी कम पड़ गये ,
         ऐसी हंसी ग़ज़ल है वह ,
कौन कहता बेवफा...............!
                                     
 
                                           💕Arvindra chohan